7 मई 2025 को गुरु रवींद्रनाथ टैगोर की 164वीं जयंती (Guru Rabindranath Jayanti 2025) पूरे देश में श्रद्धा और गर्व के साथ मनाई जाएगी। नोबेल पुरस्कार विजेता, विश्वकवि और राष्ट्रगान के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर भारतीय साहित्य और संस्कृति के अमर स्तंभ हैं। इस दिन को मनाना न केवल उनके जन्म का उत्सव है, बल्कि उनके विचारों, शिक्षाओं और योगदान को आत्मसात करने का एक अवसर भी है।

विषय सूचि
📖 रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय (Biography in Hindi)
- जन्म तिथि: 7 मई 1861
- जन्म स्थान: जोरासांको ठाकुरबाड़ी, कोलकाता
- पिता: देवेंद्रनाथ टैगोर (ब्रह्म समाज के नेता)
- माता: शारदा देवी
- उपनाम: गुरुदेव, कविगुरु, विश्वकवि
रवींद्रनाथ टैगोर बंगाल के एक समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से समर्पित परिवार में जन्मे थे। वे अपने 14 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे और बचपन से ही साहित्य, संगीत और कला में रुचि रखते थे।
🎓 टैगोर की शिक्षा और सोच (Education & Philosophy)
रवींद्रनाथ टैगोर की प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। उन्होंने पारंपरिक स्कूली शिक्षा से अधिक स्वतंत्र रूप से अध्ययन को महत्व दिया। 17 वर्ष की उम्र में इंग्लैंड जाकर उन्होंने कानून की पढ़ाई शुरू की, लेकिन रुचि साहित्य और दर्शन में अधिक थी।
टैगोर बहुभाषाविद् थे – उन्हें बंगाली, संस्कृत, अंग्रेजी सहित कई भाषाओं का ज्ञान था। उन्होंने पाश्चात्य संस्कृति के साथ भारतीय मूल्यों का सुंदर समन्वय अपनी रचनाओं में किया।
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👨👩👧👦 रवींद्रनाथ टैगोर का परिवार और बच्चे
- पत्नी: मृणालिनी देवी (विवाह – 1883)
- पांच संतानें: माधुरिलता, रथींद्रनाथ, रेणुका, मीरा, शमिंद्रनाथ
उनका परिवार भी साहित्य और संस्कृति से जुड़ा रहा। विशेष रूप से रथींद्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन के विकास में योगदान दिया।
✍️ साहित्यिक योगदान और प्रमुख कृतियाँ (Literary Works)
रवींद्रनाथ टैगोर को 1913 में गीतांजलि के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला, और वे पहले गैर-यूरोपीय नोबेल विजेता बने।
प्रमुख रचनाएँ:
- गीतांजलि
- गोरा
- घर और बाहर
- काबुलीवाला
- चित्रा
उन्होंने कविता, उपन्यास, नाटक, गीत और निबंध लिखे। “जन गण मन” (भारत का राष्ट्रगान) और “आमार सोनार बांग्ला” (बांग्लादेश का राष्ट्रगान) उनकी ही रचनाएँ हैं।
🎓 शांतिनिकेतन और शैक्षिक दृष्टिकोण (Santiniketan & Educational Vision)
1901 में टैगोर ने शांतिनिकेतन की स्थापना की, जो शिक्षा को प्रकृति के बीच और रचनात्मक रूप से विकसित करने का माध्यम बना। बाद में यह संस्थान विश्व भारती विश्वविद्यालय बना, जो आज भी उनकी शिक्षण विचारधारा का केंद्र है।
📅 गुरु रवींद्रनाथ जयंती 2025 का महत्व
इस दिन देश भर में सांस्कृतिक कार्यक्रम, कविता पाठ, रवींद्र संगीत, नाटक आदि का आयोजन किया जाता है। यह अवसर टैगोर के मानवतावादी विचारों, शांति और एकता के संदेश को पुनः स्मरण कराने का होता है।
💬 रवींद्रनाथ टैगोर के प्रेरणादायक विचार (Quotes)
“सच्ची शिक्षा वह है जो मन को मुक्त करती है।”
“प्रेम में कोई भय नहीं होता, प्रेम स्वयं में पूर्णता है।”
“विश्व एक परिवार है, और हमें इसे प्रेम से जोड़ना चाहिए।”
✅ निष्कर्ष
गुरु रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। उनका साहित्य, शिक्षा और मानवता के प्रति समर्पण आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन देता रहेगा। आइए, गुरु रवींद्रनाथ जयंती 2025 पर उनकी रचनाओं को पढ़ें, उनके गीतों को गुनगुनाएँ और उनके विचारों को जीवन में अपनाएँ।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
गुरु रवींद्रनाथ जयंती 2025 कब मनाई जाएगी?
गुरु रवींद्रनाथ जयंती 2025 को 7 मई 2025 (बुधवार) को पूरे भारत में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाएगा।
रवींद्रनाथ टैगोर कौन थे और उनका मुख्य योगदान क्या है?
रवींद्रनाथ टैगोर एक महान कवि, लेखक, दार्शनिक और शिक्षाविद् थे। उन्हें 1913 में “गीतांजलि” के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। वे भारत के राष्ट्रगान “जन गण मन” के रचयिता भी हैं।
रवींद्रनाथ टैगोर की शिक्षा कहाँ हुई थी?
उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। बाद में वे कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए, लेकिन उन्होंने पढ़ाई पूरी नहीं की। वे स्वाध्याय और साहित्य में अधिक रुचि रखते थे।
रवींद्रनाथ टैगोर ने कौन-कौन सी प्रसिद्ध पुस्तकें लिखीं?
उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में गीतांजलि, गोरा, घर और बाहर, काबुलीवाला और चित्रा शामिल हैं।
रवींद्रनाथ टैगोर का शांतिनिकेतन से क्या संबंध है?
टैगोर ने 1901 में शांतिनिकेतन की स्थापना की थी, जो बाद में विश्व भारती विश्वविद्यालय बना। यह संस्थान उनकी शैक्षिक सोच और दर्शन का प्रतीक है।